होलाष्टक कब है क्यों होते है यह दिन ?
होलाष्टक कब है क्यों होते है यह दिन ?
सबसे पहले हमारे मन में यह सवाल आता है कि होलाष्टक क्यों मनाया जाता है ?
सबसे पहले हमारे मन में यह सवाल आता है कि होलाष्टक क्यों मनाया जाता है ?
- होली से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ हो रहा है, जो 09 मार्च यानी की होलिका दहन तक रहेगा। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। 09 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 10 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा।
- दूसरा प्रश्न आता है कि क्यों होते है यह दिन ?
- अगर हम ज्योतिष के अनुसार देखे तो होलाष्टक का
- पहला दिन अष्टमी को चन्द्रमा
- दूसरा दिन नवमी को सूर्य
- तीसरा दिन दशमी को शनि
- एकादशी को शुक्र
- द्वादशी को गुरु
- त्रोदशी को बुध
- चतुर्दशी को मंगल
- पूर्णिमा को राहु
- यह सब ग्रह उग्र रूप में रहते है।
- इन सब बातो का असर यह होता है कि इन दिनों सभी लोग जायदा मानसिक तनाव से ग्रस्त होते है। जिसकी वजह से शुरू किये काम बनने की बजाये बिगड़ने लगते है।
तीसरा प्रश्न यह आता है कि होलाष्टक में काम क्यों नहीं करते है ?
ज्योषित शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के आठ दिनों में मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। होलाष्टक के मध्य दिनों में 16 संस्कार करना माना होता है 16 संस्कारो में (विवाह ,गृह प्रवेश ,नामकरण जैसे शुभ काम माना होते है।
अगला अंतिम प्रश्न आता है कि होलिका दहन कब है ?
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